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एसडीएम चाइल कौशांबी ने शिक्षा के छेत्र में जामिया आरिफया की प्रशंसा की

विश्व शांति सम्मेलन के अवसर पर कंप्यूटर सेंटर का उद्घाटन, UPSC के छात्रों को सेवाएं देने के लिए तैयार: मनीश कुमारकौशांबी: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जनपद के एसडीएम चाइल मुनीश कुमार यादव आज जिले में स्थित जामिया आरिफिया सैयद सरावां पहुंचे, जहां विश्व शांति सम्मेलन में भाग लेने के साथ ही उन्होंने नाइलेट से प्रमाणित NCPUL कंप्यूटर सेंटर का उद्घाटन किया, जिसे जामिया अरिफिया द्वारा संचालित किया जा रहा है. इस मौके पर उन्होंने कंप्यूटर सेंटर की प्रशंसा करते हुए कहा कि मदरसों में कंप्यूटर सेंटर का होना एक सुखद संकेत है. उन्होंने कहा कि यह हम लोगों की जिम्मेदारी...

न्याय के बिना समाज में अमन व शाँति कायम नहीं हो सकती । उबैदुल्लाह खान आज़मी

ख़ानक़ाह-ए-आरिफ़िया, सैय्यद सरावाँ अमन व शांति का पैग़ाम इंसानियत के नाम कांफ्रेंस का आयोजनसैय्यद सरावाँ / 3 नवंबर 2019न्याय और हक़ को अदा किये बिना, कानून और व्यवस्था का तसव्वुर मुहाल है । यदि कोई दीन-धर्म और अपने पराये से ऊपर उठकर न्याय करने वाला है तो ऐसा व्यक्ति हर धर्म के लोगों के लिए प्रिय और मूल्यवान है । धर्म आपस में बैर रखना नहीं सिखाता, बल्कि धर्म का वजूद ही इस लिए हुआ ताकि दुनिया में रहने वाले लोग भाईचारे और प्रेम से रह सकें । पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इतिहास की वो हस्ती हैं जिसने...

इस्लाम सभी इंसानों की सुरक्षा की ज़मानत देता है: मौलाना आरिफ इकबाल

खानकाह ए अरिफिया में सुल्तानुल अरिफ़ीन मख़दूम शाह आरिफ़ सफ़ी मोहम्मदी का 120वां उर्सइस्लाम प्रेम, रवादारी,  और आपसी सद्भाव का नाम है। इस्लाम केवल मुस्लिम क़ौम की नहीं, बल्कि सभी मनुष्यों की ज़िन्दगी, संपत्ति और इज्ज़त के सुरक्षा की गारंटी देता है। इस्लाम को जिस तरह एक मुस्लमान की हिफ़ाज़त मक़सूद है, उसी तरह सभी मनुष्यों की हिफ़ाज़त और सुरक्षा मतलूब है। इसीलिए इस्लाम ने अपने धर्म की बुनियाद न्याय और इंसाफ पर रखी है। अल्लाह कहता है: "किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर उत्तेजित न कर दे कि तुम उनके साथ न्याय ना कर सको।"इन बातों का...

मशाइखे चिश्त ने हमेशा हिन्दुस्तानी मिज़ाज की रियायत की है: ज़ीशान अहमद मिस्बाही

जामिया आरिफिया में जशने ख्वाजा महाराजा का प्रोग्रामख्वाजा ग़रीब नवाज़ हज़रत मोइनुद्दीन हसन चिश्ती हिन्दुस्तानियों के बहुत बड़े मोहसिन हैं । जिन्होंने पहले हिन्दुस्तानी लोगों के दिलों को फतह किया उसके बाद उस दिल में तौहीद व रिसालत का पैग़ाम भरा । उन्होंने अपनी दावत में हिन्दुस्तानी मिज़ाज और तहज़ीब का पूरा ख्याल रखा । इन ख्यालात का इज़हार मौलाना ज़ीशान अहमद मिस्बाही, उस्ताद जामिया आरिफिया ने जामिया आरिफिया सैयद सराँवा में उर्से ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के मौके पर हुए प्रोग्राम में किया ।आपने जामिया के छात्रों को बताया कि ख्वाजा साहब की इल्मी ज़िन्दगी और उनके दावत का तरीका...

जामिया अरिफिया में ग़ज़ाली डे का तेरहवां वार्षिक शैक्षिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिता समाप्त हुआ।

प्रतियोगिता में सफल छात्रों को जामिया के संस्थापक दाई ए इस्लाम के हाथों सर्टिफिकेट और शील्ड से सम्मानित किया गया। जामिया अरिफिया, सय्यद सरावां में 25 दिसंबर से 29 दिसंबर के बीच छात्रों का वार्षिक शैक्षणिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिता समाप्त हुआ। जमीयत-अल-तलबा द्वारा आयोजित गज़ाली डे प्रतियोगिता में लगभग 450 छात्रों ने भाग लिया। 29दिसंबर को इख्तितामी प्रोग्राम आयोजित किया गया था जिसमें कामयाबी हासिल करने वालों को पुरस्कार दिए गए। जिन छात्रों को कामयाबी मिली है उनके नाम इस प्रकार है:हिफ्ज़ ए क़ुरान हस्ब ए दरस मुकाबला में सय्यद मुहम्मद अशरफ (हिफ्ज़), नूर मुजस्सम (हिफ्ज़), मुहम्मद मेराज अहमद (हिफ्ज़)। हिफ्ज़...

इंसानी जानों की हिफ़ाज़त आज की दुनिया का सब से बड़ा चैलेंज है। -मुफ़्ती मुहम्मद किताबुद्दीन रिज़वी

खानकाह अरिफिया, सय्यद सरावां में 'अमन व शांति का पैग़ाम इन्सानियत के नाम' के उन्वान से "रह्मतुल्लिल आलमीन कांफ्रेंस" का आयोजन और पैग़म्बर ए इस्लाम की जीवनी की रौशनी में मानवता को बढ़ावा देने के लिए उलमा के बयानातआज की दुनिया में मज़हब, इलाक़ा, रंग व नस्ल और ज़ात-पात के नाम पर जिस बे-रहमी से इंसानी ख़ून को बहाया जा रहा है वो हम सब के लिए बहुत चिंता का विषय है। क़ुरान ने एक जान के नाहक़ क़त्ल को पूरी इंसानियत का क़त्ल कहा है। और नाहक़ क़त्ल की वारदात को रोकने के लिए क़िसास (बदला) को ज़िन्दगी बताया...

रहमान के बन्दे लोगों की ज़रूरत पूछते हैं, उन का धर्म और मसलक नहीं!

सैयद सरावां, इलाहाबाद में आयोजित उर्स-ए-आरफ़ी में उलमा का इज़हार-ए-ख़याल अल्लाह रब्बुल इज्ज़त क़ुराने करीम में अपने ख़ास बन्दों की अलामत का ज़िक्र करते हुए फरमाता है "रहमान के बन्दे, ज़मीन पर नरमी के साथ चलते हैं और जब जाहिल उन से झगड़ते हैं तो उन पर सलामती भेज कर आगे बढ़ जाते हैं" । अल्लाह के लिए दूसरे खास नाम भी हैं, खुद रहमत के लिए एक लफ्ज़ रहीम आता है मगर यहाँ पर रहमान की ख़ूबी का ज़िक्र किया गया है । इसकी वजह उलमा बयान करते हुए फरमाते हैं कि रहमान दूसरे सिफ़ात के मुकाबिल में ज़्यादा आम...

सामान्य मामलों के आधार पर सभी भारतीयों का इत्तेहाद संभव हैं

तौहीद और मानवता सभी धर्मों में सामान्य है: ख़ानक़ाह ए आरिफ़िया में आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मलेन कार्यक्रम में स्वामी अग्नि वेश का इज़हार ए ख्यालख़ानक़ाह ए आरिफ़िया, सैय्यद सरावां, कौशाम्बी भारत में गंगागंगा जमनि तहज़ीब यहाँ के सूफियों और संतों की देन है । उन्होंने इस धरती पर शांति व मोहब्बत, रवादारी और मुसावात, मेल मिलाप और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय एकता का दरस दिया है, जो देश की सामूहिक अखंडता, शांति और विकास के लिए ज़रूरी है । आज जबकि गैर शांति पसनद लोग धर्म एंव मज़हब के नाम पर देश में दंगे और आतंक फैलाने और देश की...

जामिया आरिफ़िया में बारह वर्षीय ग़ज़ाली डे मुसाब्का उत्सव समाप्त हुआ।

सफल छात्रों को नाज़िम ए आला शैख़ हसन सईद सफी के द्वारा प्रमाण पत्र और शील्ड दिये गए।जामिया आरिफ़िया, सैयद सरावां में 5 जनवरी से 8 जनवरी तक '' जश्न ए यौमे ग़ज़ाली'' के अवसर पर सालाना तालीमी एवं सकाफ़ती मुसाब्का में सफल छात्रों को जामिया आरिफ़िया के नाज़िम ए आला शेख़ हसन सईद सफ़वी के हाथों प्रमाणपत्र और शील्ड से सम्मानित किया गया । जमियत अल्तलबा की जानिब से इस साल आयोजित प्रतियोगिता प्रोग्राम में लगभग 400 छात्रों ने भाग लिया । 8 जनवरी 2018 को तक़सीम ए इनआम का आयोजन हुआ जिसमें सफलता पाने वालों को पुरस्कार से...

देश के सामूहिक विकास के लिये तमाम मज़हब के लोगों का आपस में इत्तेफाक ज़रूरी है

खानकाह ए आरिफिया, सैय्यद सरावां में पीस कांफ्रेंस कार्यक्रम में उलमा व दानिश्वरों का इजहारे ख्याल, अलएहसान:8 और खिजरे राह (हिंदी) की रुनुमाई ।जामिया आरिफिया, सैय्यद सरावां, इलाहाबादहिंदुस्तान की गंगा जमनी तहज़ीब यहाँ के सूफी और संतों का धर्म है । उन्होंने ही यहां अमन और शांति का माहौल बनाया, जो देश की सामूहिक तरक्की और देश के विकास के लिए आवश्यक था । आज जब कि ज़ालिम ताकतों और धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों ने देश के अंदर ज़हर फैला रखा है, ऐसे में ज़रूरी हो गया है कि धर्म, रूहानियत और अखलाक व इंसानियत के सही...

मानव अधिकारों को दिये बिना शांति संभव नहीं है । मुफ्ती किताबुद्दीन रिज़वी

आतंकवाद दुनिया की वह बीमारी और रोग है जिसके इलाज और उपचार के लिए आज पूरी दुनिया परेशान है, लेकिन इसकी खोज अभी तक पूरी नहीं हुई है। ये वह भयानक रोग है जो पूरी मानवता को अपने चपेट में लिए हुए है जिससे पूरी दुनिया बेक़रार और परीशान हाल है। हैरत होती है कि इस रोग के खिलाफ़ आवाज़ वह उठा रहे हैं जिनका पूरा जीवन केवल इसी दहशतगर्दी के प्रसारण एवं प्रकाशन में बीत रहा है । गरीबी और दर्दमंदी के अंत के बारे में बात वह कर रहे हैं जिनका इक्तिदार इसी पर क़ायम है । जबकि...

निजात पाने के लिए हराम कामों से बचना अधिक महत्वपूर्ण है

ख़ानक़ाह ए अरिफिया में आयोजित मासिक महफ़िल मौला ए काइनात में '' दर्दनाक अज़ाब से निजात का रास्ता '' विषय पर मुफ़्ती मोहम्मद किताबुद्दीन रिजवी के विचारदुनिया में कोई भी व्यक्ति बिना ग़म के नहीं है और अगर कोई दुखी नहीं है, तो वह इंसान नहीं है। कुछ लोगों को दुनिया का दुःख है, किसी को जहन्नम से बचने का ग़म, किसी को स्वर्ग के हूर को पाने ​​का ग़म तो किसी को अपने बनाने वाले को मनाने का ग़म। हर इंसान के जीवन में परेशानी है, एक समस्या है और पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सब...

बिहार में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पहुंची इलाहाबाद की ख़ानक़ाह से एक टीम

बिहार में बाढ़ पीड़ितों की मददखानकाह ए अरिफिया की सामाजिक और कल्याणकारी संगठन शाह सफ़ी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत विभिन्न क्षेत्रों में राहत शिविर और रिलिएफ़ का काम जारीप्रेस विज्ञप्ति (25 अगस्त, कौशांबी, इलाहाबाद) कुरान हकीम में बताया गया है: जिसने एक व्यक्ति को बचाया उसने सभी इंसानों की सुरक्षा की। अंबिया अलैहिमुस्सलाम की सीरत मानव सेवा और मार्गदर्शन से ही पाठ है। हुज़ूर अकरम (स।) ने फरमाया: पूरे प्राणी अल्लाह का कुम्बा है, तुम में अल्लाह के नज़दीक सबसे महबूब वो है जो प्राणियों के लिए सबसे फायदेमंद हे। पैगम्बर ने ये भी कहा कि अल्लाह अपने उस बन्दे...

खानकाह ए आरिफ़िया ने दिया बिहार बाढ़ पीड़ितों को रिलीफ

सैलाब की भयानकता के चलते हालत बिगड़ चुकी है।बाढ़ का सबसे काला पक्ष है सरकारी उदासीनता। राहत और बचाव का काम कहीं दिख नही रहा है।सब से बुरी हालत राहत की है कि गांवों में लोग भूख से व्याकुल है।भारी सैलाब की वजह से लोग  परेशान हैं,पानी सड़क पर बह रहा है।लोगों के बाहर निकलने के रास्ते बंद हो गये हैं लेकिन जन्ता की परेशानी पर अभी तक सरकार की उदासीनता के चलते  विशेष  धियान नहीं दिया जा रहा है.ऐसे में देश में चल रही सामाजिक संस्थाएं बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आर ही हैं.कोशाम्बी इलाहाबाद में चल...

सबने मिलकर भारत को आजाद कराया है, अब सब मिलकर इस लोकतंत्र की रक्षा करें

जामिया आरिफिया स्वतंत्रता दिवस समारोह में शिक्षकों ने विचार वयक्त किये , राष्ट्रीय गान के साथ तिरंगा लहराया गया।प्रेस विज्ञप्ति, सैयद सरावां, कौशांबी 15 अगस्त 2017: मुसलमान इस देश का अभिन्न हिस्सा हैं और देश की स्वतंत्रता में उनकी अविस्मरणीय भूमिका है। मुसलमानों ने अपनी जान पर खेलकर देश को आजाद कराया है और उसकी सुरक्षा की है। अल्लामा फ़ज़ल ए हक़ खैराबादी से अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान तक इतिहास के सुनहरे पेज इस बात के गवाह हैं। इधर कुछ दिनों से साम्प्रदायिक शक्तियां लगातार मुसलमानों की वफादारी और देशभक्ति को संदिग्ध करार देने में प्रयासरत हैं जिन्हें भारतीय मुसलमान कभी सफल...

ख़ानक़ाह ए आरिफिया में उर्स ए अरफी के अवसर पर उलमा का इज़ाहर ए ख्याल

अपनी मर्ज़ी को अल्लाह व रसूल के नियमों के अनुसार ढालने वाले ही हक़ पर हैंशाह सफ़ी अकादमी की एक तहक़ीक़ी पुस्तक '' मसअला ए अज़ान व इक़ामत का विमोचनकौशाम्बी। हर आदमी इस गुमान और खुशफहमी का शिकार है कि सबसे अच्छा धर्म और पंथ हमारा है, हर किसी का यह एहसास है कि सबसे अच्छा स्टैंड हमारा है। बात यहीं तक नहीं रह गई बल्कि लोग यहां तक ​​कहने लगे हैं कि इस धर्म की सही व्याख्या केवल हमारे ही संस्थान और ख़ानक़ाह से होती है। ये वो दावे हैं जिसमें सही और गलत दोनों की संभावना है लेकिन...

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