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ख्वाजा साहब की शिक्षा का वर्तमान महत्व

ख्वाजा साहब की शिक्षा का वर्तमान महत्व

ख्वाजा साहब को आम तौर पर पूरी दुनिया के लिए और विशेष रूप से हम भारतीयों के लिए किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। बल्कि हममें से हर कोई उन्हें अच्छी तरह जानता और पहचानता है और मानव समुदाय का एक बड़ा वर्ग उनकी शिक्षाओं से लाभान्वित और प्रबुद्ध हो रहा है। क्या अपने और किया बेगाने, सभी लोग बिना किसी भेद-भाव के ख्वाजा साहब के उपहार का आनंद ले रहे हैं। जब वह जीवित थे तो भी भारत के सम्राट थे, और आज अपने स्वर्गबास होने के लग-भाग 800 साल बाद भी वह भारत के महान सम्राट हैं। भारत में चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो, वह ख्वाजा साहब के चरणों में अपना सिर झुकाए बिना नहीं रह सकती। ख्वाजा साहब ने न केवल खुद जीवन भर नेक रहे और नेकों के रास्ते पर चलते रहे, बल्कि अपने अनुयायियों और  ईश्वर के सभी सेवकों को भी ईश्वर से करीब होने का गुर और सालिका सिखाते रहे। ख्वाजा साहब उन महान व्यक्तियों में से एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं जिनका मिशन सभी प्राणियों को लाभ पहुँचाना है, और लाभ पहुँचाते समय वे यह नहीं देखते कि लाभार्थी कौन है, अच्छा या बुरा, और किस धर्म से है। बल्कि वे केवल यह देखते हैं कि जिसका लाभ हो रहा है वह ईश्वर कि रचना है या नहीं। इसके अलावा वे जीवन भर इसी महान मिशन की शिक्षा भी देते रहे, कियोंकि इस विश्व अस्तर की शिक्षा का प्रचार-प्रसार ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य रहा।

इस प्रकार ख्वाजा साहब के जीवन के अलग-अलग पाठ और अलग-अलग पहलू हैं और निस्संदेह उनके जीवन का हर पहलू बहुत ही शिक्षाप्रद है। लेकिन सबसे पहले हम ख्वाजा साहब की उन महत्वपूर्ण और बुनियादी शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए वर्तमान सरकार और शासक के मार्गदर्शन के लिए कुछ कहने की कोशिश करेंगे कि यदि हमारे शासक और सरकार ने ख्वाजा साहब की इन शिक्षाओं का ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से पालन कर लिया तो निस्संदेह हमारा देश न केवल भारत के निर्माण और विकास के लिए शुभ सिद्ध होगा, बल्कि हमारा देश पूरी दुनिया के सामने एक उदाहरण के रूप में भी उभरेगा और वैश्विक स्तर पर हमारे देश को एक आदर्श के रूप में देखा जाएगा। ख्वाजा साहिब की जिन महान शिक्षाओं और निर्देशों की ओर हम इशारा करने जा रहे हैं, उनको और उनकी उपयोगिता और महत्व को कोई भी समझदार व्यक्ति, चाहे दोस्त हो या दुश्मन, कभी भी नकार नहीं सकता। क्योंकि आज की दुनिया में जिस तरफ देखिए, इसी पहलू पर अधिक से अधिक ध्यान दिया जा रहा है। सभी सरकार और सभी देश विशेष रूप से इस संबंध में अधिक सतर्क और चौकन्ना रहना चाहते हैं और इस संदर्भ में कभी भी कोई अनदेखा नहीं करना चाहते, कियोंकि कहीं ऐसा न हो कि देश में अराजकता और बेचैनी का माहौल पैदा हो जाए और सरकार का नाश हो जाए, इसलिए प्रत्येक शासक अपनी सरकार के अस्तित्व को बचाने और उसको मजबूत बनाए रखने के लिए इन पहलुओं पर विशेष रूप से नजर रखते हैं, उदाहरण के लिए यह तीन बातें धेयान से देखें: (1) देश का कोई भी वर्ग कमजोर और पिछड़ा नहीं रहना चाहिए और प्रत्येक वर्ग को हर प्रकार के विकास में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। (2) देश का कोई भी वर्ग मुफलिस और तंगहाल नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसकी सम्पूर्ण जरूरतें पूरी होनी चाहिए। (3) देश का कोई भी वर्ग किसी भी परिस्थिति में भूखा नहीं रहना चाहिए और उसके लिए हमेशा बुनियादी खाद्य सामग्री मुहाय्या होनी चाहिए।

यदि अधिक स्पष्टता से कहा जाए तो किसी भी देश के विकास और समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि उस देश में शिक्षा का प्रचार प्रसार नगर से लेकर गाँव-देहात अस्तर पर हो, शिक्षा का इंतेजाम बेहतर और समान पैमाने पर हो, इसको संगठित भी किया जाए और आधुनिक तकनीक से शिक्षा को  जोड़ा भी जाए और शिक्षा की प्राप्ती सभी नागरिकों के लिए सरल बनाया जाए। चाहे वे जिस भी वर्ग का हो या जिस भी जाति-सम्प्रदाय का हो, उनके लिए शिक्षण और प्रशिक्षण के द्वार खुले रहने चाहिए, ताकि नागरिकों का पिछड़ापन दूर हो सके। शिक्षा के बाद दूसरा कदम शिक्षित लोगों को रोजगार देना है और इसे दो तरह से किया जा सकता है:(1) उन्हें रोजगार से जोड़ा जाना चाहिए। (2) उन्हें व्यापार और व्यवसाय के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। ताकि उनकी जरूरत दूर हो जाए। वे गरीबी के बोझ तले कुचलने से बच जाएं। वे स्वं जीने की राह पर चलें और दूसरों को भी जीने की राह बताएं। इसके अलावा यदि किसी दुर्भाग्यपूर्ण कारण से कोई वर्ग शिक्षा और विकास से खुद को नहीं जोड़ पाता है और रोजगार से अपना संबंध नहीं बना पाता है या देश और समाज के कमजोर और गरीब वर्ग, जिसके पास न शिक्षा है, न रोजगार है, लेकिन किसी विपदा के कारण यदि वह जीने को विवश है तो उसके खाने-पीने की व्यवस्था की जाए और उसको जीने का अवसर प्रदान किया जाए। कियोंकि हर सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने नागरिकों को जीवन की सभी सुख-सुविधाएं मुहैया कराए।

फलस्वरूप कोई भी व्यापक सरकार और बुद्धिजीवी शासकगण कभी भी इन चीजों की उपयोगिताओं से इनकार नहीं कर सकते हैं। और इन बातों को ध्यान में रखे बिना सत्ता की स्थिरता का दावा करना भी किसी सपने से कम नहीं है। और एक अच्छी और आदर्शपूर्वक सरकार को सपने के सहारे नहीं चलाया जा सकता। इस संदर्भ में देखा जाए और इन बातों को व्यवहारिक जीवन में उतारने का मन बना लिया जाए तो ख्वाजा साहब की शिक्षा सभी सरकार और सभी शासक के पक्ष में मील का पत्थर साबित होगी।

ख्वाजा साहब कहते हैं:सफल और ईश्वर के प्रिय सेवकों में शामिल होने के लिए, इन तीन बातों का पालन करना बहुत ही आवश्यक है:(1) दर-दर भटक रहे और पिछड़े लोगों की खबर रखना। (2) तंगदस्तों की तंगदस्ती और जरूरतमंदों की जरूरत को पूरा करना। (3) भूखे लोगों को खाना खिलाना।’’ विकास और उन्नती के ये कुछ ऐसे उत्तम सूत्र हैं जिन की व्यापकताओं को नकार देना किसी भी शासक अथवा सरकार को शोभा नहीं देता। विशेष रूप से भारतीय शासक और सरकार के लिए यह सूत्र बहुत ही जरूरी है। कियोंकि इसके उपयोग से राष्ट्रीय अस्तर पर पिछड़ापन दूर होगा, शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ तंगदस्ती और मुफलिसी दूर करने के लिए नौकरी, व्यापार और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। और देश को भूखमरी से बचाने के लिए हर स्तर पर खाने-पीने की व्यवस्था की जानी चाहिए। और इस संबंध में विशेष रूप से कृषक समुदाय को पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए ताकि अनाज की मदद से गरीबी जैसी विपदाओं से देश को बचाने का सपना पूरा हो सके। इसलिए हमारे शासकों और सरकार को इस पहलू पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि देश के साथ देश के नागरिकों का भी भला हो सके।

 डाक्टर जहांगीर हसन

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