बिहार में बाढ़ पीड़ितों की मदद
खानकाह ए अरिफिया की सामाजिक और कल्याणकारी संगठन शाह सफ़ी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत विभिन्न क्षेत्रों में राहत शिविर और रिलिएफ़ का काम जारी
प्रेस विज्ञप्ति (25 अगस्त, कौशांबी, इलाहाबाद) कुरान हकीम में बताया गया है: जिसने एक व्यक्ति को बचाया उसने सभी इंसानों की सुरक्षा की। अंबिया अलैहिमुस्सलाम की सीरत मानव सेवा और मार्गदर्शन से ही पाठ है। हुज़ूर अकरम (स।) ने फरमाया: पूरे प्राणी अल्लाह का कुम्बा है, तुम में अल्लाह के नज़दीक सबसे महबूब वो है जो प्राणियों के लिए सबसे फायदेमंद हे। पैगम्बर ने ये भी कहा कि अल्लाह अपने उस बन्दे की मदद में रहता जब तक कि वो अपने भाइयों की मदद में लगा रहता है। नबी करीम (स.अ.व.) की हयात-ए-तैयबा और अल्लाह के बन्दों की सेवा से ही समर्पित होकर दाई ए इस्लाम शेख अबू सईद शाह एह्सनुल्लाह मुहम्मदी सफ़वी ने बिहार में आई बाढ़ पीड़ितों लोगों की मदद के लिए एक टीम मौलाना रिफ़अत रजा नूरी के साथ भेजा।
यह टीम शाह सफ़ी मेमोरियल ट्रस्ट के अधीन पूरी लगन के साथ बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 19 अगस्त को खानकाह ए अरिफिया, सैयद सरावां से रवाना हुई और अब तक रिलीफ पहुँचाने में व्यस्त है। इस टीम ने बिहार के सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला क्षेत्र सीमांचल का रुख किया और वहां पर पंद्रह सौ से अधिक लोगों तक पहुँचने और उन्हें राहत पैकेज, नकदी, कपड़े पहुंचाए, टीम ने विशेष रूप से नदियों से घिरे हुए क्षेत्रों की तरफ विशेष ध्यान दिया और दूसरे क्षेत्रों तक भी सहायता पहुंचाने की कोशिश की।
पूरी टीम में लगभग तीस से ज्यादा लोग शामिल थी, जिसमें खानकाह के लोगों के इलावा दारुल उलूम ताजुशरिया, मधुबनी के शिक्छक और छात्र भी शामिल थे। इस रहत रसानी के पुण्य काम में दारुल-उलूम अहले सुन्नत, जनताहाट के प्रमुख बाबा एहसानुल हक साहब और उनके शिक्षकों और छात्रों के इलावा किशनगंज स्थानीय लोगों ने भी भरपूर भाग लिया। बाबा साहेब ने पूरी टीम को अपने मदरसे में जगह दी और सहायता की वितरण के लिए स्थानीय लोगों की मदद से लगभग बीस प्रतिनिधियों विभिन्न क्षेत्रों में भेजा, स्थानीय लोगों के माध्यम से वास्तविक मुस्तहक़्क़ीन की सूची तैयार करवाई गई, जिनमें मुस्लिम और गैर मुस्लिम दोनों शामिल थे बल्कि गैर मुस्लिमों में हरिजन और दलित सहित पिछड़ी ज़ातयों तक के इलावा बहुत सारे वे लोग भी थे जिनका घर बार लुट चूका था, विधवा और गरीबों में जो पहले से ही नादार थे उन तक रिलीफ की मदद पहुंचाई गयी।
किशनगंज जिले में से करहेली, लोचा, माटीहारी, दुर्गा पुर, दवहमूनी, चन्दवार, मालटोला, हल्दी सुरह चन्दवार, रोहया, भोरादा, घंटा, जरिल, मोरमीला, बिशन जयपुर, परगना समेसर, भोपला, तीघरया, बरेजान और अन्य क्षेत्र उल्लेखनीय हैं। जबकि पूर्णिया जिले में वेटर, बाईसी टोलह, बरेली, पानी सिदरतुल और अन्य दूर दराज़ गांवों में राहत सामग्री वितरित की गयी।
सच्ची बात यह है कि राहत टीम ने जिन तक पहुँचने वह भी बहुत थोड़े लोग थे लेकिन खुशी इस बात से थी कि कुछ मुस्तहक़्क़ीन और महत्वपूर्ण लोगों तक पहुंच सके और उनके दुख दर्द को शेर सके। सीमांचल के सभी जिलों में अब भी पीड़ितों की संख्या में कमी नहीं आई है जिन तक सहायता पहुंचाने की सख्त जरूरत है, जो नुकसान हुए हैं इसकी भरपाई के लिए मुस्लिम संगठनों और खानकाह और मदरसों के लोगों को आगे आना चाहिए। आज जब उनके पे मुसीबत आई है तो उनके टूटे दिल और हसरत भरी निगाहें हम पे टिकी हुई हैं, ऐसे समय में सक्षम खानकाह और साथी सरवत लोगों को आगे बढ़कर भाग लेना चाहिए।
हम उन इदारों और खानकाहों की ढेर सारी बधाइयाँ देते हैं जो इस समय मुसीबतज़दों की हेल्प कर रहे हैं। पूरी राहत टीम दाई ए इस्लाम शेख अबू सईद शाह एह्सनुल्लाह मुहम्मदी सफ़वी साहब, इल्लाहबदी के आभारी है, जिन्होंने ने टीम को रवाना किया, संरक्षण और बाढ़ पीड़ितों के पक्ष में दुआओं के साथ लगातार खबरगीरी करते रहे। साथ ही मौलाना आरिफ इकबाल मिस्बाही की सरपरस्ती में ईमानदारी के साथ काम करते रहे उन सब के साथ विशेष धन्यवाद उन सभी सहायकों को जिनके सहयोग से यह सब कुछ हो पाया। इस समय यह टीम मिथिलांचल जिले मधुबनी और दरभंगा के प्रभावित क्षेत्रों में राहत वितरण कर रही है, चिकित्सा कैंप भी लगा चुकी है और मरीजों तक दवाओं को पहुँचाने में जुटी हुई है।
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