दाइए इस्लाम शेख अबू सईद मोहम्मदी सफ़वी के दावत पर
''आलमी अमन व शांति का पैगाम इंसानियत के नाम ''
उनवान से आयोजित सम्मेलन में काफी संख्या में लोग शरीक हुए।
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर नबी आखिर सल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम तक जितने भी नबी इस दुनिया में आये , वे सब इंसानों को एकता और इंसानियत की दावत देने के लिए आए थे, नबी आखिर (सल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम.) जिनका जन्म दिवस आज हम जश्न के रूप में मना रहे हैं, वह इंसानियत के लिए रहमत बनकर आए थे, केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं , आप (सल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम) ने इंसानों को उस के हकीकी मालिक से मिलाया, उनके ऊपर नाज़िल होने वाली किताब कुरान भी एक विशेष क़ौम व मिल्लत के लिए नहीं बल्कि उस में सभी इन्सान को संदेश भेजा है जिसे अल्लाह ने इन्सानों को उनके भूले हुए सबक याद दिलाने के लिए उतारा था. मगर अफ़सोस कि हम ने रसूल के जीवनी को भी छोड़ दिया और अल्लाह ताला के नियमों को भी भुला दिया,यह विचार व्यक्त मुफ्ती मोहम्मद किताबुद्दीन रिजवी उप प्रिंसिपल जामिया आरफिया, सैयद सरावां, इलाहाबाद ने किया। खानक़ाहे आरफिया सैयद सरावां इलाहाबाद में आज जश्ने मीलादे नबी (सल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम ) के अवसर पर इस दीनी व दावती सम्मेलन में आस-पास के मुस्लिम और गैर मुस्लिम बड़ी संख्या में शामिल थे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि आज हम जिन के जन्म का जशन मना रहे हैं, उन्होंने अपने अंतिम धर्मोपदेश में स्पष्ट शब्दों में फ़रमाया है कि कोई इंसान किसी दुसरे इंसान पर कोई श्रेष्ठता नहीं रखता, किसी गोरे को काले, किसी अरबी का अजमी पर कोई पुण्य नहीं है, लेकिन केवल अपनी अच्छाइयों व खुदा के खौफ , इन्सानों में जिस का रिश्ता उसके निर्माता और मालिक से मजबूत होगा और बन्दों को जिस से अधिक लाभ होगा, वह ही बेहतर इंसान है. शांति के पैगम्बर मोहम्मद सल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम ने कहा कि मुसलमान वह है जिस के हाथ और ज़बान से से सभी इन्सानों को सलामती पहुंचे, एक है दुख ना देना तथा एक है सुरक्षा पहुंचाना, सही मुसलमान वो है जो दुनिया को शांति से भर दे, जो ज़ुल्म करे उस पर रहम करे, जो रिश्ता तोड़े उस से रिश्ता जोड़े मगर अफसोस कि आज हम मुसलमान होने का दावा करते हैं लेकिन हमारा पड़ोसी भी हम से खुश नहीं होता।
देशवासियों को कुरान को पढने का दावत देते हुए कहा कि इस्लाम व कुरान के अध्ययन से, पैगम्बर के अखलाक और उनके सच्चे वारिसों सूफ़ी विद्वानों के जीवन को समझें, हम जैसे बद अख़लाक़ मुसलमानों और पश्चिमी मीडिया से जो इस्लाम को समझने की कोशिश करेंगे वह कभी भी सही इस्लाम तक नहीं पहुँच सकेंगे।
खानक़ाहे आरफिया के परिसर में जश्ने मीलादे नबी के अवसर पर आयोजित होने वाले सम्मलेन को मौलाना आरिफ इकबाल मिसबाही ने संबोधित करते हुए कहा कि अगर पैगंबर मोहम्मद सल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम के दिए हुए नियमों का पालन हो तो भारत भ्रष्टाचार, महिलाओं की असुरक्षा, भुखमरी और इस प्रकार के रोगों से और सभी तरह की नास्तिकता से और धर्म के नाम पर हिंसा से सुरक्षित हो सकता है।
शांति के पैगंबर की शिक्षाओं के सही प्रचारक सूफी लोग हैं, शांति की शिक्षा उनके जीवन का मकसद होता है, सृष्टि को निर्माता से मिलाना और मनुष्य को मानवता के बारे में पता कराना उनका विशेष कार्य होता है, सूफी कुटियों का दरवाजा हर आने वाले के लिए खुला रहता है, व्यथित लोग उनके पास आते हैं और वे सभी हृदय आराम उपकरण प्रदान करते हैं, उनका तरीका ही वास्तव में शांति और मानवता का तरीका है और उनके साहचर्य और उनकी शिक्षाओं का पालन करने ही में मानवता की सफलता है, उनकी शिक्षाओं का पालन करने से ही आज की दुनिया को शांति पर्दान हो सकती है, आज के दौर में उनकी शिक्षा की अधिक महत्व और जरूरत बढ़ गई है, क्योंकि आज हर धर्म दूसरे धर्म का और हर इंसान दूसरे इंसान का दुश्मन बना हुआ है, जो हत्या करता है वह भी धर्म का मानने वाला और अपने मालिक का नाम लेने वाला होता है और जिस की हत्या होती है वह भी धर्म का दावेदार और अल्लाह को पुकारने वाला होता है, ऐसे में सूफियों की शिक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है, उनकी सोहबत में पहले मनुष्य को मानवता की शिक्षा दी जाती है और फिर मनुष्य को उसके मालिक से मिला दिया जाता है, जो अपने मालिक से प्रसन्न होता है और मालिक उस से प्रसन्न होता है तो ऐसा व्यक्ति सारी दुनिया के लिए साया बन जाता है और उस के दया के साये में दोस्त और दुश्मन सब बराबर के भागीदार और हिस्सेदार होते हैं। सूफी कुटी खानक़ाहे आरफिया जहां आज हम सब इकट्ठा हैं यहाँ सदियों से उन्हीं सूफियों के रास्ते पर चलते हुए शांति के पैगंबर और शांति की शिक्षाओं का प्रचार किया जा रहा है और अब वर्तमान समय के महान सूफी, दाइये इस्लाम आरिफ बिल्लाह शेख अबू सईद मोहम्मदी सफ़वी के नेतृत्व में सूफी सेंटर के बैनर के तहत मानवता निर्माता मिशन को मानवता की भलाई के लिए लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है।
इस कार्यक्रम का संचालन मौलाना मुजीबुररहमान ने किया, जबकि मौलाना रिफअत रजा नूरी ने हमद व नात पेश की। हर साल की तरह इस साल भी यह कार्यक्रम बड़े शान के साथ आयोजित किया गया था और शाह सफ़ी मेमोरियल ट्रस्ट ने यह व्यवस्था की थी, जबकि हज़रत दाइए इस्लाम ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता फ़रमाई, आसपास के हजारों लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया जनता के अलावा उलेमा, बुद्धिजीवी और सभी धर्म के मानने वालों ने इस सम्मलेन में भाग लिया. और सभी ने इस सम्मलेन में शांति के पैगम्बर की शिक्षाओं के अनुसार अपनी शेष जीवन बिताने का संकल्प किया। इस अवसर पर शाह सफ़ी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा लंगर आम का इंतजाम भी किया गया था।
Leave your comment